कोरा कागज़ | Real Love Story in Hindi
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बात लगभग 40 साल पहले की है जब विवाह को दो दिलों का मेल ना समझ कर बस एक रस्म की तरह निभाया जाता था| लेकिन जब दो अजनबी अचानक अपनि ज़िन्दगी किसी के साथ बाँटने लग जाए, जब किसी के लिए दिल में सम्मान के भाव आने लग जाए तो प्यार हो ही जाता है| खैर चलिए इतना तो आप जानते ही है और यह भी जान गए होंगे की हम आपको आज यह प्यार मुहोब्बत वाली बातें क्यों बता रहें हैं, जी हाँ आज हम आपके लिए प्यार भरी एक और कहानी लेकर आए हैं, कोरा कागज़ | Real Love Story in Hindi
कोरा कागज़ | Real Love Story in Hindi
रश्मिता घर में सबसे चंचल थी| दिन भर मस्ती करना, घर में धमा-चोकड़ी करना और इन सब से मन भर जाए तो मुहोल्ले भर की आंटियों-चाचियों के घर टटोल आना| बस उसका दिन भर का यही काम था| यूँ कहें की मुहोल्ले की जान थी हमारी 14 बरस की रश्मि| पढाई-लिखाई से दूर-दूर तक कोई नाता न था| हालाँकि आज से 40 बरस पहले उस ज़माने में लड़कियों की पढाई-लिखी पर ध्यान कौन देता था| वैसे तो रश्मि घर में सबकी लाडली थी लेकिन अपने दादाजी की वो जान थी| बचपन से अपने दादाजी से ही उसने ज़िन्दगी का पाठ पढ़ा था| अक्सर दादाजी रश्मिता को चिढाने के लिए उस से उसकी शादी की बात करते लेकिन शादी की बात सुनते ही रश्मिता ऐसे खीजती मानो आज ही उसकी शादी हो रही हो|
एक दिन घर में दादाजी के बचपन के एक बहुत पुराने मित्र दादाजी से मिलने आए| रश्मिता ने उनके पैर छुए और उनके लिए पानी लेकर आई| दादाजी ने रश्मिता का परिचय करवाते हुए रश्मिता से कहा, “रश्मि, पहचाना इन्हें…ये वही है हमारे चूरन वाले साथी”| दादाजी की बात सुनकर रश्मिता खिलखिला उठी| लेकिन रश्मिता की खिलखिलाहट दादाजी के मित्र को इतनी पसंद आई की उन्होंने रशिता को अपने घर की बहु बनाने का फैसला कर लिया और वहीँ रिश्ते की बात भी कर ली|
अपनी फुल सी बेटी के लिए इतने अच्छे घर से रिश्ता आने पर दादाजी ख़ुशी से भर उठे| अगली बसंत पर बड़ी धूमधाम से रश्मि बिटिया की शादी करने का फैसला लिया गया| रश्मि को जैसे ही अपनी शादी के बारे में पता चला वह फुट-फुट कर रोने लगी| उसे लगा मनो उसका पूरा घर, दादाजी और उसका पूरा परिवार पीछे छूटता चला जा रहा हो|
खैर यह तो होना ही था| एक 14 बरस की लड़की को शादी के बारे में सिर्फ इतना ही पता था की उसे अब अपना घर छोड़कर किसी और के घर में ज़िन्दगी भर रहना है| इसी बिच रश्मिता की शादी बड़ी धूमधाम से हुई और रश्मिता की मुलाकात पहली बार अपने पति से हुई और अगले ही दिन रश्मिता के पापा रश्मिता को लेने आ गए|
बस फिर रश्मिता का आना जाना लगा रहा| कभी पीहर तो कभी ससुराल| लेकिन पति से अभी तक नही बन पाई थी| अक्सर ही दोनों बच्चों की तरह झगड़ते रहते| उस दिन भी रश्मि अपने पति से रूठी हुई थी की रश्मिता के पिताजी रश्मिता को लेने आ गए|
मायके जाते हुए रश्मिता ने टोकते हुए अपने पति से कहा, “अब में नहीं आउंगी आपके घर”
रश्मिता के पति ने भी गुस्से में कहा, “आना भी मत, जब तक में ना बुलाऊ”
रश्मिता ने चुटकी लेते हुए कहा, “अच्छा, तो मुझे कैसे पता चलेगा कि आपने बुलाया है या नहीं”
कुछ सोचते हुए रश्मिता के पति ने कहा, “जब तुम्हें कोई कोरा कागज़ दिखाए तो समझ जाना मैंने बुलाया है|
मायके में रश्मिता के दिन बहुत अच्छी तरह बीते| जब कोई रश्मि से उसके पति के बारे में पूछता तो वह चुटकी लेते हुए कहती, “अच्छे हैं, पर थोड़े बुद्धू हैं|” और सब मुस्कुरा जाते…
लगभग 15 दिन बाद रश्मिता के ससुरजी रश्मिता को लेने आए| रश्मिता ने उनके सामने कुछ दिन और मायके में रहने की इच्छा जताई| ससुर जी ने भी रश्मिता की बात का सम्मान रखते हुए हामी भर दी|
कुछ दिन बीतने पर जेठ जी आए| हालाँकि तब तक रश्मिता को भी ससुराल की याद सताने लगी थी लेकिन उसे अभी तक कोरे कागज़ का संदेसा नहीं मिला था| इसलिए रश्मिता ने माँ से ससुराल ना जाने का बहाना बना दिया| माँ ने रश्मिता को बहुत समझाया लेकिन रश्मिता ने किसी की एक ना सुनी| जेठ जी भी चले गए|
रश्मिता के ससुराल में रश्मिता के ससुराल आने पर मना करने पर सब परेशान थे| इधर रश्मिता के परिवार वाले भी रश्मिता को समझाने में लगे थे लेकिन रश्मिता किसी की बात मानने को तैयार ना थी| किसी को समझ नहीं आ रहा था की आखिर माजरा क्या है| ससुराल में यह चर्चा चल ही रही थी की तभी रश्मिता के पति ने “कोरे कागज़” वाली पूरी बात बताई|
अगले ही दिन रश्मिता के ससुरजी कोरे कागज़ के साथ रश्मिता को लेने आए| रश्मिता तो इसी पल के इंतजार में थी, कोरे कागज़ पर अपने पति का नाम लिख, अपना सामान बांध, रश्मिता अगले ही दिन ससुराल पहुँच गई|
लेकिन अपने पति के लिए उसके दिल में अब सब कुछ बदल चूका था| रस्मिता को अब अपना जीवन साथी मिल चूका था| आज जी भर कर रश्मिता ने अपने पति से बातें की लेकिन कोरे कागज़ वाली बात को लेकर दोनों सालों तक खिलखिलाते रहे…..
कोरा कागज़ | Real Love Story in Hindi
यह भी पढ़ें:- बरसात | Barsaat Hindi Kahani
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